शनिवार, 23 अक्तूबर 2010

उजाले की ओर

विकलांगता क्या है?
सामान्यतः विकलांगता एक ऐसी अवस्था है जिसमे व्यक्ति शरीर के कुछ अंग न होने के कारण अथवा सभी अंगो के होते हुए भी उन अंगो का कार्य सही रूप से नहीं कर पाता-जैसे उंगलियाँ न होना, पैर पोलियो से ग्रस्त होना, आँख होते हुए भी अंधत्व के कारण दिखाई नहीं देना, कान में दोष होने के कारण सुनाई नही देना, बुद्धि कम होने के कारण पढाई नही कर पाना अथवा बुद्धि होते हुए भी भावनाओ पर नियंत्रण न कर पाना आदि.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने विकलांगता की परिभाषा को तीन चरणों में विभाजित किया है-
क्षति (Impairment)
व्यक्ति के स्वास्थ्य से सम्बंधित ऐसी अवस्था जिसमे शरीर के किसी अंग की रचना अथवा कार्य में दोष/अकार्यक्षमता/दुर्बलता होना. यह स्थिति अस्थायी हो सकती है.
शरीर रचना या मनोवैज्ञानिक स्तर पर कमी या असामान्यता को क्षति कहा जा सकता है. यदि किसी व्यक्ति के अंगो में किसी भी प्रकार की त्रुटी या मानसिक प्रक्रियाओं की कार्यकुशलता में उम्र के अनुसार कमी हो तो उसे क्षति कहते हैं. उदाहरण के लिए दुर्घटना के कारण किसी व्यक्ति का पैर कट जाता है तो यह शारीरिक क्षति कहलाती है. इसी प्रकार मस्तिष्क के धीमे कार्य करने को बौद्धिक क्षति कहा जा सकता है. क्षति किसी भी प्रकार की बीमारी से, दुर्घटना से या जन्मजात हो सकती है.

निह्शक्तता (Disability)
क्षति के कारण निह्शक्तता निर्मित होती है. अर्थात, संरचनात्मक अथवा कार्यात्मक क्षति लम्बे समय तक रहकर व्यक्ति के दैनिक कार्य कलापों में रुकावट बन जाती है. इस अवस्था को निह्शक्तता कहा जाता है.
क्षति के परिणाम स्वरूप किसी भी प्रकार का कार्य करने में जो अक्षमता होती है उसे निह्शक्तता कहते हैं. अक्षमता किसी व्यक्ति में उम्र के अनुसार कार्य करने में कमी या रूकावट को दर्शाती है जो कि सामान्य तौर पर उपेक्षित है.

बाधिता/विकलांगता (Handicap)
निह्शक्तता के कारण बाधिता / विकलांगता निर्मित होती है. यानी दैनिक क्रियाकलापों को पूरा करने की अकार्यक्षमता के कारण व्यक्ति को समाज की गतिविधियों और मुख्य धारा सहभागिता से वंचित होना पड़ता है. अर्थात व्यक्ति समाज द्वारा अपेक्षित भूमिका नहीं निभा पाता, इस अवस्था को बाधित कहते हैं.
विकलांगता वह अवस्था है जिसमे किसी क्षति के उपरान्त व्यक्ति अपनी आयु, लिंग एवं सामाजिक स्तर के अनुरूप कार्य करने में असमर्थ हो जाता है. अर्थात यह अवस्था व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारी निभाने में असमर्थ बना देती है.
निःशक्त जन अधिनियम 1995 के अंतर्गत सात प्रकार की विकलांगताएं परिभाषित की गयी हैं:

1. गत्यात्मक विकलांगता (Locomotor Disability)
2. दृष्टिबाधिता-अंधत्व (Visual Handicap)
3. अल्प दृष्टि (Low Vision)
4. श्रवण बाधित (Hearing Handicap)
5. मतिमंद्ता-मानसिक विकलांगता (Mental Retardation)
6. मानसिक रुग्णता (Mental Illness)
7. कुष्ठ रोग मुक्त विकलांगता (Leprosy Cured Disability)






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3 टिप्‍पणियां:

Asha Lata Saxena ने कहा…

मुझे यह आर्टिकल बहुत अच्छा लगा |ब्लॉग की अच्छी शुरुबात के लिए बधाई
आशा

Tom George ने कहा…

really good

Asha Lata Saxena ने कहा…

तुम्हारे ब्लॉग पर आकार बहुत अच्छा लगा | अच्छी पोस्ट के लिए बधाई
आशा