उजाले की ओर
संपादकः- फ़ादर थॉमस सी.टी.
रविवार, 27 मई 2012
मंगलवार, 30 नवंबर 2010
आपका अनुभव
हमारे यहाँ Special Olympic Games हाल ही में सम्पन्न हुए हैं, यहाँ पधारे सभी सम्माननीय शिक्षकों में से एक शिक्षक श्री सोमेश्र्वर शर्मा ने मनोविकास के कार्यों एवं Staff Members के व्यवहार से प्रभावित होकर अपने अनुभव को कुछ इस प्रकार से व्यक्त कियाः-
"हमें है आस,
हमारा भी हो विकास,
कहते हैं ये बच्चे,
इनके विकास का यह प्रयास,
पूरा कर रहा है मयास,
ये बच्चे ही तो, बच्चे हैं
बाकी सबसे अच्छे हैं,
ना कपट न इनमें छल है
इसलिये ये स्पशल हैं,
भगवान भी मनुष्यों की परीक्षा लेता है,
और स्पेशल बच्चे स्पेशल पालक को ही देता है,
धन्य हैं वे लोग जो इनके माता-पिता हैं,
सच्ची मानवता का मैडल इन्होंने ही तो जीता है,
हम भी ट्रेनिंग ले कर होगए कोच,
और बदल गई हमारी भी सोच,
जो घर के मुखिया जैसे रहते और देते सदा उचित परामर्श, वे हैं मनोविकास के फ़ादर थॉमस,
हम पर है राजेन्द्र सर का साया मयास और स्पेशल बच्चों के बारे में इन्होंने अच्छा बताया,
स्पेशल बच्चों के स्पेशल कोच बनो, बिना झिझक-बिना डर,
ये कहते हैं श्री मानवेन्द्र सर,
एक और सर हमारे बहुत भारी हैं,
वो दुबेजी अच्छा लेब खिलाते हम उनके आभारी हैं
इस ट्रेनिंग रुपी पेड़ का एक विशाल तना है
वो तना ज़ुबेर सर के नाम से बना है,
ये तना सेवा और अनुभव से हुआ है पक्का,
वक्त के थपेड़े इनको क्या देंगे धक्का,
खेल के बारे में जिनका नॉलेज कमाल है
वे हैं गोविंन्द सर और मनोज बाकलीवाल हैं
अजीज सर ने भी गर्मी में ख़ूब
तपाया है
और हमें दौड़-दौड़ा करथकाया है,
पूरी टीम ने ही अच्छा सीखाया है
मानवता और खेल का नया मार्ग दिखाया है
चार दिनों तक जिसने सबका दिल जीता है,
वो जिलास्तरीय खेल प्रतियोगिता है
चार दिन बाद जब हम घर जाऐंगे
और जब भी अपने सामने सामने स्पेशल बच्चों को पायेंगे तो, इनको अपना अधिकार दिलाऐंगे
और समाज की मुख्यधारा में लायेंगे
ये जो भी हैं, वो इनका हक़ है
और सामान्य जीवन जीना भी इनका हक है"
--सोमेश्र्वर शर्मा
"हमें है आस,
हमारा भी हो विकास,
कहते हैं ये बच्चे,
इनके विकास का यह प्रयास,
पूरा कर रहा है मयास,
ये बच्चे ही तो, बच्चे हैं
बाकी सबसे अच्छे हैं,
ना कपट न इनमें छल है
इसलिये ये स्पशल हैं,
भगवान भी मनुष्यों की परीक्षा लेता है,
और स्पेशल बच्चे स्पेशल पालक को ही देता है,
धन्य हैं वे लोग जो इनके माता-पिता हैं,
सच्ची मानवता का मैडल इन्होंने ही तो जीता है,
हम भी ट्रेनिंग ले कर होगए कोच,
और बदल गई हमारी भी सोच,
जो घर के मुखिया जैसे रहते और देते सदा उचित परामर्श, वे हैं मनोविकास के फ़ादर थॉमस,
हम पर है राजेन्द्र सर का साया मयास और स्पेशल बच्चों के बारे में इन्होंने अच्छा बताया,
स्पेशल बच्चों के स्पेशल कोच बनो, बिना झिझक-बिना डर,
ये कहते हैं श्री मानवेन्द्र सर,
एक और सर हमारे बहुत भारी हैं,
वो दुबेजी अच्छा लेब खिलाते हम उनके आभारी हैं
इस ट्रेनिंग रुपी पेड़ का एक विशाल तना है
वो तना ज़ुबेर सर के नाम से बना है,
ये तना सेवा और अनुभव से हुआ है पक्का,
वक्त के थपेड़े इनको क्या देंगे धक्का,
खेल के बारे में जिनका नॉलेज कमाल है
वे हैं गोविंन्द सर और मनोज बाकलीवाल हैं
अजीज सर ने भी गर्मी में ख़ूब
तपाया है
और हमें दौड़-दौड़ा करथकाया है,
पूरी टीम ने ही अच्छा सीखाया है
मानवता और खेल का नया मार्ग दिखाया है
चार दिनों तक जिसने सबका दिल जीता है,
वो जिलास्तरीय खेल प्रतियोगिता है
चार दिन बाद जब हम घर जाऐंगे
और जब भी अपने सामने सामने स्पेशल बच्चों को पायेंगे तो, इनको अपना अधिकार दिलाऐंगे
और समाज की मुख्यधारा में लायेंगे
ये जो भी हैं, वो इनका हक़ है
और सामान्य जीवन जीना भी इनका हक है"
--सोमेश्र्वर शर्मा
शनिवार, 23 अक्तूबर 2010
उजाले की ओर
विकलांगता क्या है?
सामान्यतः विकलांगता एक ऐसी अवस्था है जिसमे व्यक्ति शरीर के कुछ अंग न होने के कारण अथवा सभी अंगो के होते हुए भी उन अंगो का कार्य सही रूप से नहीं कर पाता-जैसे उंगलियाँ न होना, पैर पोलियो से ग्रस्त होना, आँख होते हुए भी अंधत्व के कारण दिखाई नहीं देना, कान में दोष होने के कारण सुनाई नही देना, बुद्धि कम होने के कारण पढाई नही कर पाना अथवा बुद्धि होते हुए भी भावनाओ पर नियंत्रण न कर पाना आदि.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने विकलांगता की परिभाषा को तीन चरणों में विभाजित किया है-
क्षति (Impairment)
व्यक्ति के स्वास्थ्य से सम्बंधित ऐसी अवस्था जिसमे शरीर के किसी अंग की रचना अथवा कार्य में दोष/अकार्यक्षमता/दुर्बलता होना. यह स्थिति अस्थायी हो सकती है.
शरीर रचना या मनोवैज्ञानिक स्तर पर कमी या असामान्यता को क्षति कहा जा सकता है. यदि किसी व्यक्ति के अंगो में किसी भी प्रकार की त्रुटी या मानसिक प्रक्रियाओं की कार्यकुशलता में उम्र के अनुसार कमी हो तो उसे क्षति कहते हैं. उदाहरण के लिए दुर्घटना के कारण किसी व्यक्ति का पैर कट जाता है तो यह शारीरिक क्षति कहलाती है. इसी प्रकार मस्तिष्क के धीमे कार्य करने को बौद्धिक क्षति कहा जा सकता है. क्षति किसी भी प्रकार की बीमारी से, दुर्घटना से या जन्मजात हो सकती है.
निह्शक्तता (Disability)
क्षति के कारण निह्शक्तता निर्मित होती है. अर्थात, संरचनात्मक अथवा कार्यात्मक क्षति लम्बे समय तक रहकर व्यक्ति के दैनिक कार्य कलापों में रुकावट बन जाती है. इस अवस्था को निह्शक्तता कहा जाता है.
क्षति के परिणाम स्वरूप किसी भी प्रकार का कार्य करने में जो अक्षमता होती है उसे निह्शक्तता कहते हैं. अक्षमता किसी व्यक्ति में उम्र के अनुसार कार्य करने में कमी या रूकावट को दर्शाती है जो कि सामान्य तौर पर उपेक्षित है.
बाधिता/विकलांगता (Handicap)
निह्शक्तता के कारण बाधिता / विकलांगता निर्मित होती है. यानी दैनिक क्रियाकलापों को पूरा करने की अकार्यक्षमता के कारण व्यक्ति को समाज की गतिविधियों और मुख्य धारा सहभागिता से वंचित होना पड़ता है. अर्थात व्यक्ति समाज द्वारा अपेक्षित भूमिका नहीं निभा पाता, इस अवस्था को बाधित कहते हैं.
विकलांगता वह अवस्था है जिसमे किसी क्षति के उपरान्त व्यक्ति अपनी आयु, लिंग एवं सामाजिक स्तर के अनुरूप कार्य करने में असमर्थ हो जाता है. अर्थात यह अवस्था व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारी निभाने में असमर्थ बना देती है.
निःशक्त जन अधिनियम 1995 के अंतर्गत सात प्रकार की विकलांगताएं परिभाषित की गयी हैं:
1. गत्यात्मक विकलांगता (Locomotor Disability)
2. दृष्टिबाधिता-अंधत्व (Visual Handicap)
3. अल्प दृष्टि (Low Vision)
4. श्रवण बाधित (Hearing Handicap)
5. मतिमंद्ता-मानसिक विकलांगता (Mental Retardation)
6. मानसिक रुग्णता (Mental Illness)
7. कुष्ठ रोग मुक्त विकलांगता (Leprosy Cured Disability)
अधिक जानकारी के लिए सम्पर्क कीजियेः-
दूरभाषः- 0734-2511031
ई-मेलः- mpvss@sancharnet.in
वेब-साईटः- http://www.mpvss.co.in/
प्रायोजकः- भारतीय कंम्प्युटर्स, उज्जैन
सामान्यतः विकलांगता एक ऐसी अवस्था है जिसमे व्यक्ति शरीर के कुछ अंग न होने के कारण अथवा सभी अंगो के होते हुए भी उन अंगो का कार्य सही रूप से नहीं कर पाता-जैसे उंगलियाँ न होना, पैर पोलियो से ग्रस्त होना, आँख होते हुए भी अंधत्व के कारण दिखाई नहीं देना, कान में दोष होने के कारण सुनाई नही देना, बुद्धि कम होने के कारण पढाई नही कर पाना अथवा बुद्धि होते हुए भी भावनाओ पर नियंत्रण न कर पाना आदि.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने विकलांगता की परिभाषा को तीन चरणों में विभाजित किया है-
क्षति (Impairment)
व्यक्ति के स्वास्थ्य से सम्बंधित ऐसी अवस्था जिसमे शरीर के किसी अंग की रचना अथवा कार्य में दोष/अकार्यक्षमता/दुर्बलता होना. यह स्थिति अस्थायी हो सकती है.
शरीर रचना या मनोवैज्ञानिक स्तर पर कमी या असामान्यता को क्षति कहा जा सकता है. यदि किसी व्यक्ति के अंगो में किसी भी प्रकार की त्रुटी या मानसिक प्रक्रियाओं की कार्यकुशलता में उम्र के अनुसार कमी हो तो उसे क्षति कहते हैं. उदाहरण के लिए दुर्घटना के कारण किसी व्यक्ति का पैर कट जाता है तो यह शारीरिक क्षति कहलाती है. इसी प्रकार मस्तिष्क के धीमे कार्य करने को बौद्धिक क्षति कहा जा सकता है. क्षति किसी भी प्रकार की बीमारी से, दुर्घटना से या जन्मजात हो सकती है.
निह्शक्तता (Disability)
क्षति के कारण निह्शक्तता निर्मित होती है. अर्थात, संरचनात्मक अथवा कार्यात्मक क्षति लम्बे समय तक रहकर व्यक्ति के दैनिक कार्य कलापों में रुकावट बन जाती है. इस अवस्था को निह्शक्तता कहा जाता है.
क्षति के परिणाम स्वरूप किसी भी प्रकार का कार्य करने में जो अक्षमता होती है उसे निह्शक्तता कहते हैं. अक्षमता किसी व्यक्ति में उम्र के अनुसार कार्य करने में कमी या रूकावट को दर्शाती है जो कि सामान्य तौर पर उपेक्षित है.
बाधिता/विकलांगता (Handicap)
निह्शक्तता के कारण बाधिता / विकलांगता निर्मित होती है. यानी दैनिक क्रियाकलापों को पूरा करने की अकार्यक्षमता के कारण व्यक्ति को समाज की गतिविधियों और मुख्य धारा सहभागिता से वंचित होना पड़ता है. अर्थात व्यक्ति समाज द्वारा अपेक्षित भूमिका नहीं निभा पाता, इस अवस्था को बाधित कहते हैं.
विकलांगता वह अवस्था है जिसमे किसी क्षति के उपरान्त व्यक्ति अपनी आयु, लिंग एवं सामाजिक स्तर के अनुरूप कार्य करने में असमर्थ हो जाता है. अर्थात यह अवस्था व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारी निभाने में असमर्थ बना देती है.
निःशक्त जन अधिनियम 1995 के अंतर्गत सात प्रकार की विकलांगताएं परिभाषित की गयी हैं:
1. गत्यात्मक विकलांगता (Locomotor Disability)
2. दृष्टिबाधिता-अंधत्व (Visual Handicap)
3. अल्प दृष्टि (Low Vision)
4. श्रवण बाधित (Hearing Handicap)
5. मतिमंद्ता-मानसिक विकलांगता (Mental Retardation)
6. मानसिक रुग्णता (Mental Illness)
7. कुष्ठ रोग मुक्त विकलांगता (Leprosy Cured Disability)
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दूरभाषः- 0734-2511031
ई-मेलः- mpvss@sancharnet.in
वेब-साईटः- http://www.mpvss.co.in/
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